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अकेले चलना शिखलो क्योकी सहारा कितना भी सच्चा हा एक दिन ओकात दिखा ही देता है
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जब गुलामी कि आदत लग जाती है तो हर कोई आपनी ताकत भुल जाता है चाहे वह इंसान हो या जानवर ...
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*जिन्हें सलीका है तहज़ीब-ए-ग़म समझने का* *उन्हीं के रोने में आँसू नज़र नहीं आते ।।*...
Nice shayari bhai
ReplyDeletethanks
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